चंद्र में जीवन है !

वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्र पर जीवन नहीं है । मेरा यह मानना है की चंद्र में जीवन है।

चंद्र पर पानी ना होने के कारण जीवन संभव नहीं है ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है। लेकिन पानी बिना का भी जीवन और बिना जल का जीव भी तो हो सकता है।

पृथ्वी ग्रह पर जीवन है क्योंकि यहाँ जल है और जल के साथ साथ वह सारे तत्व विद्यमान है जो एक जीव के लिए जरूरी है। मानव शरीर एवं प्रथ्वी के सारे जीव पाँच महाभूतों से बने है।

क्षिति जल पावक गगन समीरा पाँच तत्व मिल बना शरीरा ।

अर्थात् मिट्टी, पानी, अग्नि, आकाश और वायु ये सारे महाभूत मिलकर शरीर का निर्माण करते है। यह प्रथ्वी के जीवन की बात है। प्रथ्वी के जीवों के शरीर पाँच महाभूतों से बने है और इस तरह दिखते है जैसे कि आज हम देख पा रहे हैं। अगर इन पाँच महाभूतों में से कोई एक महाभूत ना होता तो जो शरीर हम आज देख रहें है वह शायद ऐसा नहीं होता कुछ अलग होता। उसी तरह चंद्र पर जल नहीं है लेकिन शेष चार महाभूत वहाँ उपस्थित हैं। इसी कारण वहाँ पर शरीर है लेकिन प्रथ्वी जैसा नहीं हैं। प्रथ्वी के जीवों के शरीर पाँच महाभूतों से बने हैं और उसमें जल की अधिकता है। प्रथ्वी के प्राणियों के शरीरों में जल का प्रमाण ७५% से ज़्यादा है इसलिए ऐसा दिखता है। चंद्र में जल ना होने से हो सकता है कि वहाँ के शरीरों में वायु की अधिकता होगी और चूकीं हम वायु को देख नहीं सकते, इसलिए हम उसे देख नहीं सकते। चंद्र पर जाने वाले वैज्ञानिक पाँच महाभूतों के बने शरीर है वह चार महाभूतों से बने शरीरों को जिसमे वायु का प्रमाण अधिक हो उसे देख नहीं सकता और इसीलिए वह कहते हैं कि चंद्र पर जीवन नहीं है। परंतु चंद्र पर जीवन है और वहाँ के प्राणी चार महाभूतों से बने है। इसलिए उनका शरीर हमारे प्रथ्वी के शरीर जैसा नहीं है। परंतु चंद्र में जीवन है ! जीवन है !

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